मुबारक हो सबको टीका लगाना
मैं ख़ुश हूँ मेरे साथ सभी सुर मिलाना
मैं तो दीवाना दीवाना दीवाना
मैं तो दीवाना दीवाना दीवाना
हज़ारों तरह के ये होते हैं दुखड़े
अगर मन में दम हो तो मिटते हैं दुखड़े
खुशी के पलों में बदलते हैं दुखड़े
इनसे हार सकता नहीं ये ज़माना
ये पुरवाईयाँ दे रही हैं बधाई
आओ बाल-बच्चों करो रे पढ़ाई
बेरोज़गार न बैठो करो रे कमाई
चलो आज चल दो करो न बहाना
ये बोले समय की नदी का बहाव
वो सुनसान गलियाँ वो सूने से गाँव
थीं सब कल की बातें उन्हें भूल जाओ
न फिर याद करना, न मुझको दिलाना
(आनन्द बक्षी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 19 मई 2021 । सिएटल
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