निकलें थे पैसा कमाने
अब धर्म बन गया है
किसी के लिए मर्ज़
किसी का ज़ख़्म बन गया है
कोई कहे ग्राहक सर्वोपरि
कोई कहे शेयरहोल्डर
निकलें थे पैसा कमाने
अब गर्व बन गया है
अपनी-अपनी मंशा सबकी
अपना-अपना शग़ल
निकलें थे पैसा कमाने
अब कर्म बन गया है
कोई कहे प्यार मेरा
कोई कहे जुनून
निकलें थे पैसा कमाने
अब सनम बन गया है
कोई और कुछ जाने ना
ना करे मर जाए
निकलें थे पैसा कमाने
अब वहम बन गया है
राहुल उपाध्याय । 24 मई 2021 । सिएटल
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