अब तो है सबसे हर खुशी अपनी
सब पे मरना है ज़िंदगी अपनी
जब हो गया हमपे ये सच नुमायाँ
फिर चाहे जो भी कहे हमको पराया
कोई बिगाड़े बातें चाहे अब जितनी
इस राह में बदनाम कई पहले हो गए
पड़ें लाख छाले मगर रूक ना वो गए
देखो कहाँ ले जाए ये ज़िद अपनी
(मजरूह से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 21 मई 2021 । सिएटल
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