तुझे सूरज कहूँ या चंदा
तुझे दीप कहूँ या तारा
तेरा हाथ सदा है सर पे
तू ही मेरा एक सहारा
तुझे भूल मैं कैसे जाऊँ
तेरी याद बसी है दिल में
तुझे दूर मैं कैसे पाऊँ
तू दौड़ रहा मेरी रग में
तुझे रोज़ मैं ऐसे चाहूँ
जैसे धूप को छाँव का मारा..
तेरा मुझसे क्या है नाता
मैं आज बताऊँ तुझको
तू रोज़ खिलाए मुझको
मैं भोग लगाऊँ तुझको
तू ही मेरा मात-पिता है
तू ही मेरा राज दुलारा
मैं गा रहा हूँ कैसे
मुझमें भक्ति है तुझसे
मैं चल रहा हूँ कैसे
मुझमें शक्ति है तुझसे
तेरे लाख मुझपे करम हैं
तू ही मेरी साँस की धारा
राहुल उपाध्याय । 26 मई 2021 । सिएटल
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