सुलझी हुई बातों ने
दिल को ये बताया है
जीवन है वो जादू
जो समझ न आया है
क्यूँ आएँ कहाँ से हम
और किधर को है जाना
कब आया समझ किसको
किसी ने न ये जाना
क्या कुछ नहीं खोजा है
कुछ हाथ न आया है
हम चाह के भी उनको
कभी भूल न पाते हैं
जिनकी चाहत में हमने
कई ख़्वाब सजाए थे
पर हमने जिन्हें चाहा था
हमने ही गँवाया है
राहुल उपाध्याय । 2 मई 2021 । सिएटल
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