Wednesday, May 19, 2021

रोग से उबर जाना है

https://youtu.be/zUPJpkFFwpE


एक दिन मास्क तो हटाना है

रोग से उबर जाना है

हमें बस दिल से दिल लगाना है

रोग से उबर जाना है


ऐसी ज़िन्दगी होगी,

हर तरफ़ खुशी होगी

इतना प्यार होगा तब

ऐ मेरे सनम


तब न कोई ग़म होगा

न ये प्यार कम होगा

साथी मेरे मुझको तेरे

सर की है क़सम

सच में ये वक़्त भी आना है

रोग से उबर जाना है


मैं अकेला क्या करता

ऐसे ही आँहे भरता

तेरे प्यार के लिये

तड़पता उम्र भर


जाने क्या मैं कर जाता

यूँ तड़प के मर जाता

बिन तेरे भला कैसे

गुज़रा ये सफ़र

तेरे लिये बच के भी दिखाना है

रोग से उबर जाना है


तेरा चाँद सा मुखड़ा

तू जिगर का है टुकड़ा

तू है मेरी सपनों की

झील का कंवल


जान से तू है प्यारा,

आँखों का है तू तारा

बिन तेरे जियें नहीं

जी के भी ये पल

सब कुछ मिल के ये बताना है

रोग से उबर जाना है


(समीर से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 15 मई 2021 । सिएटल 

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