अब तो है तुमसे हे प्रभु विनती
यूँ ही मरना हो ना मेरी नियति
अब बंद करो मुझपे ये ज़ुल्म ढाना
फिर चाहे जो भी करो दूँगा न ताना
चाहे बनाओ रातें लम्बी अब जितनी
तेरे प्यार से भगवन ख़ुश मैं बहुत हूँ
तेरे द्वार पे रोया भी मैं बहुत हूँ
देखो कहाँ मैं जाऊँ ले के ये भक्ति
(मजरूह से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 22 मई 2021 । सिएटल
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