पता नहीं क्यों
इस धर्म निरपेक्ष देश में
थानों में मंदिर हैं
पर्वतों पे धर्मस्थल हैं
हर जगह धर्म है
और धर्म बस एक ही है
स्कूल में प्रार्थना है
प्रार्थना में ईश्वर है
ईश्वर से सम्बल है?
कि ईश्वर से हम निर्बल हैं?
ईश्वर से हम अनुशासित हैं
कि ईश्वर से हम विभाजित हैं?
जब यह निजी पसंद-नापसंद है
यह क्यों सार्वजनिक है?
पता नहीं क्यों
इस धर्म निरपेक्ष देश में
थानों में मंदिर हैं …
राहुल उपाध्याय । 3 अक्टूबर 2021 । तराना
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वाह
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