हर तरफ़ बेशुमार आदमी आदमी
कर रहा है बीमार आदमी आदमी
है कहाँ, अब यहाँ, हो जो कोई चारागर
रोगियों की क़तार आदमी आदमी
(चारागर = इलाज करने वाला)
कोई दामन गहूँ तो मैं शायद बचूँ
कर रहा है विचार आदमी आदमी
(गहना = कोई वस्तु इस प्रकार हाथ में लेना कि वह छूट न सके)
मास्क ठहरता नहीं, नक़ाब उतरता नहीं
कर रहा है श्रृंगार आदमी आदमी
ना है प्यार, ना है प्रेम, किसी से आपको
बन रहा होशियार आदमी आदमी
राहुल उपाध्याय । 19 अक्टूबर 2021 । सिएटल
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वाह
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