Tuesday, October 19, 2021

हर तरफ़ बेशुमार आदमी आदमी

हर तरफ़ बेशुमार आदमी आदमी 

कर रहा है बीमार आदमी आदमी 


है कहाँ, अब यहाँ, हो जो कोई चारागर 

रोगियों की क़तार आदमी आदमी 

(चारागर = इलाज करने वाला)


कोई दामन गहूँ तो मैं शायद बचूँ 

कर रहा है विचार आदमी आदमी 

(गहना = कोई वस्तु इस प्रकार हाथ में लेना कि वह छूट न सके)


मास्क ठहरता नहीं, नक़ाब उतरता नहीं 

कर रहा है श्रृंगार आदमी आदमी 


ना है प्यार, ना है प्रेम, किसी से आपको 

बन रहा होशियार आदमी आदमी 


राहुल उपाध्याय । 19 अक्टूबर 2021 । सिएटल 


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