जब से तुमको अपना समझा
तब से ये ज़िन्दगानी है
सबने मुझको पागल समझा
ये उन की नादानी है
अपनी-अपनी फ़ितरत सबकी
कोई न किसी का दोषी है
अपने हाथों लुटते सारे
भाग न करता हानि है
(भाग = भाग्य)
चलते-चलते साँस टूट जाए
जीवन नदिया फ़ानी है
घर-चौबारे छूटते सारे
साथ न जाती निशानी है
(फ़ानी = न रहनेवाला)
आँख से देखी जितनी दुनिया
जगमग-जगमग जानी है
दिल में जिसके जितना डूबा
उतनी पाई सुहानी है
तेरी-मेरी जोड़ी ऐसी
मैं राजा, तू रानी है
हर दिन ऐसा, ऐसा सुन्दर
जैसे प्रेम कहानी है
राहुल उपाध्याय । 9 अक्टूबर 2021 । खजुराहो के आसपास
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