तेरी-मेरी प्यार की बातें
ना तू समझे, ना मैं समझूँ
क्या समझेगा जग गम्भीर
चारों खाने, आठों पहर
कर रहे हैं हमें वो चित्त
तेरा-मेरा ऐसा रिश्ता
साँस साँस की मुखबिर
(मुखबिर = खबर देने वाला)
अपने दिल पर क्या है बीती
इसकी कोई सीमा नहीं
जितना रोके, उतनी गाढ़ी
हो रही है प्रेम की खीर
जल मिल जाए, जग मिल जाए
जल ही जग का सच्चा पीर
तू है मेरी जल की धारा
तुझसे मिटी सगरी पीर
(पीर = मसीहा, पीड़ा)
(सगरी = सारी)
तेरा-मेरा बंधन ऐसा
बंधे जिसमें राँझा-हीर
आगे-पीछे-उपर-नीचे
देखें इतनी कहाँ है धीर
(धीर = धीरज, धैर्य)
जलते-बुझते हैं सब तारे
घटता-बढ़ता चाँद शरीर
अपना प्यार न घटता-बढ़ता
जैसे गगन, जैसे तीर
(शरीर = जिस्म, चंचल)
(तीर = किनारा)
राहुल उपाध्याय । 10 अक्टूबर 2021 । इन्दौर
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सुन्दर
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