एक माँ ही थीं
जो जानती थीं
कि मेरा रात भर बड़बड़ाना
यानी मुझे बुखार है
एक माँ ही थीं
जो जानती थीं
मेरे हर मर्ज़ का मर्ज़
मेरे हर दर्द का दर्द
पहले कह देती थीं
तू यह कर ले, वह कर ले
फिर चुप रहने लगीं
जानती थीं मुझे सब पता है
कब क्या करना है
कब क्या नहीं करना है
उनका होना, न होना
मन समझ कर भी
समझ नहीं पाता
सर्दी की धूप थीं वे
न हो तो स्वेटर तो है ही
राहुल उपाध्याय । 14 अक्टूबर 2021 । कोटा
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सुन्दर
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