Monday, October 18, 2021

रावण न हो तो दिक़्क़त है

रावण न हो तो दिक़्क़त है


हमें सुख मिलता है

रावण बनाने में 

बना के उसे जलाने में


हम नहीं चाहते कि

रावण सदा-सदा के लिए मर जाए


हम नहीं चाहते कि

हम उसे भूल जाए


हम चाहते हैं कि

यह तमाशा हर साल हो

जो नहीं जानते हैं 

वे भी जानें 

कि

देखो

हम कितने ताक़तवर हैं

किसी को बनाना 

और बना के जलाना

कितना सुखदायक है


कला भी जागृत होती है 

कविताएँ फूटती हैं

बच्चे पुतले बनाना सीख जाते हैं 

लाल-पीली आँखें 

काली-काली मूँछें 

बनाना-लगाना

कितना आनन्ददायक है

तीर-कमान भी बन जाते हैं 

अट्टहास का भी अभ्यास हो जाता है

अभिनय का भी अवसर मिल जाता है 


रावण न हो तो दिक़्क़त है …


राहुल उपाध्याय । 18 अक्टूबर 2021 । सिएटल 




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