कुछ तो बात हुई होगी
यूँही बात बन्द नहीं होती
कुछ तो दर्द रहा होगा
यूँही आँख नम नहीं होती
अब इसे इनाम दूँ
कि इल्ज़ाम दूँ,
जो लगाई थी कभी
वो आग कम नहीं होती
ग़ैर के ही हाथ
पूजे गए हैं मसीह अक्सर
ज्ञान की बात
अपनों को पसन्द नहीं होती
लोग आते हैं, चले जाते हैं
सब कुछ तज कर
कुछ तो क़रार आया होगा
यूँही आँख बन्द नहीं होती
बात उल्फ़त की हो, बग़ावत की हो
तो समझें भी
हमसे हर एक बात पे
जद्दोजहद नहीं होती
राहुल उपाध्याय । 29 अक्टूबर 2017 । सिएटल
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