Sunday, May 14, 2023

मैं अपनी माँ से दूर

मैं अपनी माँ से दूर 

धरती पे रहता हूँ 

बहुत खुश हूँ 

उससे कहता हूँ 


मिलना चाहता हूँ 

जल्दी 

पर ऐसी कोई जल्दी भी नहीं है

और क़ानूनन अपराध भी है 

और ऐसी व्यवस्था भी नहीं है 

कि जब चाहो मिल लो

तब तक ऐश कर रहा हूँ 

फ़िल्में देखता हूँ 

आईसक्रीम खाता हूँ 

आसपास घूम-घाम आता हूँ 


उनका पूजा का कमरा वैसा ही है 

न सजाया, न सँवारा, न बिगाड़ा

रूम्बा सफ़ाई कर देता है 

मैं तुलसी को पानी दे देता हूँ 

जैसे मैं जी रहा हूँ 

वैसे वह भी जी रही है 


वायदे उन्होंने माँगे नहीं 

क़सम मैंने खाई नहीं 

ज़िम्मेदारी कोई है नहीं 

पोखर-गीज़-फूल-अपार्टमेंट-टीवी-मसालदानी 

शावर-बेंच

सब से

उनका अक्स झलक जाता है 

दिल बहल जाता है 


मैं अपनी माँ से दूर 

धरती पे रहता हूँ 

बहुत खुश हूँ 

उससे कहता हूँ 


राहुल उपाध्याय । 14 मई 2023 । सिएटल 









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