हम दोनों बहुत प्यार करते हैं
इसीलिए तकरार करते हैं
फिर दूर होने का करार करते हैं
और बेक़रार होकर याद करते हैं
एक टेक्सट करता है - सब ठीक?
दूजा जवाब देता है - हाँ। तुम?
मैं भी ठीक हूँ
बढ़िया 😊😊😊
वार्तालाप समाप्त
हम न साथ हैं
न अलग हैं
बस ग्रह-उपग्रह है
एक दूसरे के इर्द-गिर्द हैं
मिलने की इच्छा है
पर मिलना नहीं है
—
तुम अपनी प्रायवेसी सेटिंग बदलो
नीले डंडे नज़र नहीं आते हैं
ऊपर से जवाब भी दो-दो दिन तक नहीं देती हो
पहले डॉमिनोज़ थी
तीस सेकंड से कम में जवाब दे देती थी
अब न जाने क्या हो गया है
गुमसुम सी रहती हो
देखो तुम फिर से मुझसे जिरह कर रहे हो
कटघरे में बंद कर रहे हो
कोर्ट कचहरी कर रहे हो
वकीलों से सवाल कर रहे हो
क्यूँ मैं समय पर जवाब दूँ?
क्या मैं कोई नौकरी कर रही हूँ?
कोई टायमर चल रहा है?
मैं इस टिक-टिक से परेशान आ चुकी हूँ
मेरा सर फटा जा रहा है
तुम इसे प्यार कहते हो?
प्यार तो वह होता है
जो अपना दुख छोड़
दूसरों का दर्द समझे
जब भी वो बात करे
उसमें प्यार देखे
न कि तीन का पाँच करे
—-
और मैं बावरा
फिर भी ख़ुश हूँ
कि मेरी ज़िन्दगी में कितने रंग है
जैसे कि मैं करण जौहर की फिल्म हूँ
राहुल उपाध्याय । 29 मई 2023 । सिएटल
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