हमने सबको ढूँढ लिया है
सबको ग्रुप से जोड़ दिया है
कहने को किसी के पास कुछ है नहीं
बस इधर-उधर के वीडियो से भरा रहता है
कोई गुड मॉर्निंग करता है
कोई फूल-पत्ते-झरने भेजता है
कोई किसी के प्रवचन
तो कोई किसी की तस्वीर भेजता है
जन्मदिन-पुण्यतिथि का भी बोल-बाला रहता है
शादियाँ हो जाती हैं
बच्चे हो जाते हैं
घर बन जाते हैं
घर टूट जाते हैं
बिखर जाते हैं
और किसी को कानों-कान ख़बर नहीं होती
सब जुड़ जाते हैं
पर ऐसे जैसे कि
लायब्रेरी में बैठे
समाचार पत्र
और पत्रिकाएँ
पढ़ रहे हैं
या टटोल रहे हैं
और एक दूसरे से बात करना मना है
राहुल उपाध्याय । 17 मई 2023 । सिएटल
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