एक शहंशाह ने ठुकरा के हमारी पूँजी
हम ग़रीबों की मेहनत को तिलांजलि दी है
इसके बारे में सदा ज़ुल्म के चर्चे होंगे
खत्म जो हो ना सकेगी वो कहानी दी है
ताज वो चीज़ है जो इंसान को
इंसान की इंसानियत ही भुला देती है
वो जो अच्छा भला इक संत सा दिखता था
उसको पल भर में हैवान बना देती है
कभी न भूल सकेंगे वो निशानी दी है
कहाँ तो तय था कि सबको साथ रखेंगे
दुख इसका, दुख उसका, सबका हिसाब रखेंगे
सिर्फ़ अपने ही मज़हब को ध्यान में रख कर
देश में सांप्रदायिक तत्वों को न बढ़ावा देंगे
क्या पता क्यों सूखी लकड़ी को अग्नि दी है
है धर्म घर में सुरक्षित, मन्दिरों में भी है
उसे संसद में, संस्थानों में लाना क्यूँ है?
आय आय टी, एयरपोर्ट पर क्या अब हवन होंगे?
हर जगह धर्म का कलेवर चढ़ाना क्यूँ है?
न जाने कौन सी इस देश को ये गति दी है
(शकील बदायूनी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 30 मई 2023 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment