Saturday, May 6, 2023

मोड़

आज फिर 

किसी ने

मुझे 

टोक दिया 

रोक लिया

मेरी सीधी-सादी राह को

मोड़ दिया


मुझे अच्छा लगा

वरना

गंतव्य की होड़ में

मैं जरनी भूल जाता 

जीना भूल जाता


मैं चिड़िया की आँख ही क्यूँ देखूँ

जबकि

पृथ्वी-चाँद-सितारे

सब मेरी बाँहों में हैं


राहुल उपाध्याय । 6 मई 2023 । सिएटल 


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