आज फिर
किसी ने
मुझे
टोक दिया
रोक लिया
मेरी सीधी-सादी राह को
मोड़ दिया
मुझे अच्छा लगा
वरना
गंतव्य की होड़ में
मैं जरनी भूल जाता
जीना भूल जाता
मैं चिड़िया की आँख ही क्यूँ देखूँ
जबकि
पृथ्वी-चाँद-सितारे
सब मेरी बाँहों में हैं
राहुल उपाध्याय । 6 मई 2023 । सिएटल
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