Monday, May 22, 2023

वक़्त करता जो वफ़ा वोट हमारे होते

वक़्त करता जो वफ़ा वोट हमारे होते

हमने जनता के ये नोट न मारे होते 


अपनी तक़दीर में पहले ही से कुछ तो ग़म है

और कुछ आज की हवाओं में वफ़ा भी कम है

वरना जीती हुई बाज़ी तो न हारे होते


हम भी रोते हैं ये साथी को जता भी न सके

साथ है कोई न किसी को बता भी न सके

काश हम ग़ैरत-ए-महफ़िल के न मारे होते


दम घुटा जाता है सीने में फिर भी ज़िंदा हैं

पंजाब क्या हम तो दिल्ली से ही शर्मिन्दा हैं

मर ही जाते न जो भक्तों के सहारे होते


(इन्दीवर से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 22 मई 2023 । सिएटल 


इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: