तीस में शादी
साठ में तलाक़
ये ज़िन्दगी थी
या था ये मज़ाक़?
तीस में अंदर
साठ में बाहर
ये ज़िन्दगी थी
या थी ये तिहाड़
तीस में खाए
तीस तक खाए
लड्डू खा के
हम पछताए
नब्बे तक का जीवन
है अब भी बाक़ी
भरने हैं इसमें
रंग मुझे काफ़ी
दुख-सुख हमेशा
आते रहेंगे
मुझको हँसाते
रूलाते रहेंगे
दुनिया मेरी है
जब न हूँ किसी का
मैं इसका-उसका
हूँ मैं सभी का
राहुल उपाध्याय । 24 मई 2023 । सिएटल
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