वह दारू पीती है
सिगरेट पीती है
मुझे उससे कोई दिक़्क़त नहीं
बल्कि ख़ुशी है कि वह सही मायनों में
आज़ाद है
वह भाषा की खिचड़ी पकाती है
व्याकरण का जियोग्राफ़िया बिगाड़ती है
वर्डल का हल मैं करूँ उससे पहले बता देती है
मुझे उससे कोई दिक़्क़त नहीं
बल्कि ख़ुशी है कि वह नियमों को
तिलांजलि देती है
वह तर्क-कुतर्क करती है
मुझे मेरी कमियाँ बताती है
मुझे उससे कोई दिक़्क़त नहीं
बल्कि ख़ुशी है कि कोई तो है
जो मेरे बारे में सोचता है
मुझे किसी से कोई दिक़्क़त नहीं है
क्योंकि उनसे मेरा कोई रिश्ता नहीं है
हम सब अपने-अपने घरों में आज़ाद हैं
एक छत के नीचे होते तो
दिक्कत हो जाती
राहुल उपाध्याय । 16 मई 2023 । सिएटल
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