राजा ने चाल चली
देश में आग लगी
मेहनत की पूँजी
मिनटों में राख हुई
वोटों की कमी को
नोटों से तौल लिया
न जाने किस गलती का
हमसे ये मौल लिया
काहे का राज ये
कैसा ये राज है
नफ़रत की बेल पे
टिकाते ये ताज है
सड़कों की पट्टियाँ
विकास के नाम है
विधायकों की ख़रीद-फ़रोख़्त
बस यही तो काम है
नाक के नीचे से
सत्ता फिसल जाती है
सत्तर में से तीन ही
सीट आ पाती हैं
कहाँ वो रुतबा
कहाँ वो चार्म है
दक्षिण और पूर्व में भी
हारे संग्राम है
पूर्ण है बहुमत
और किया न ख़ाक है
ज्ञान और विज्ञान का
हाल दर्दनाक है
दादा और दादी की
कहानियों का भंडार है
उसके आगे
न कर्म है, न विचार है
राहुल उपाध्याय । 21 मई 2023 । सिएटल
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