इस पेड़ को मैंने कभी
साबुन रगड़ कर नहाते नहीं देखा
शायद इसीलिए मजबूत है
बारिश से बचता नहीं
रात से डरता नहीं
पत्ते झड़े तो बिलखता नहीं
शाख़ टूटे तो कलपता नहीं
मंदिर में जा के झुकता नहीं
हाथ किसी के आगे फैलाता नहीं
फ़ैशन की परवाह नहीं
पोशाक पहनता नहीं
जो है, सामने है
छुपता-छुपाता नहीं
कभी फूल से लद जाए
कभी फल से
पर मोह किसी से रखता नहीं
राहुल उपाध्याय । 4 मई 2023 । सिएटल
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