न होता नोट, न खोटा-खरा होता
ज़िन्दगी का कुछ भला होता
न जाता बैंक, न खोलता खाता
मौत का सामाँ फिर कहाँ होता
एक तो फ़ीस, दूजी क़तारें
इन सबसे तो मैं बचा होता
न सुनता न्यूज़, न होता दुख
सुख-चैन से घर भरा होता
घर में मेरी लगा के सेंध
किसी ने तो न डँसा होता
राहुल उपाध्याय । 23 मई 2023 । सिएटल
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