Sunday, May 1, 2022

फूल झरते हैं

वह जब बोलती है

फूल झरते हैं 

दिल डोलता है 

मन झूमता है 

खून दौड़ता है 

आँख भीगती है 

ईश्वर बोलता है 


वह जब नहीं बात करती है 

ख़ुशी होती है कि 

वह अपनों के साथ है 

और मुझ ग़ैर से रिश्ता बनाए रखने के लिए 

चाहते हुए भी 

मुझसे बात नहीं करती है


वह रिश्ता 

जो एक पल में टूट सकता है 

न टूटे 

और एक और दिन गुज़र जाए 

तो जीवन सार्थक लगता है


राहुल उपाध्याय । 1 मई 2022 । सिएटल 


इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: