वह जब बोलती है
फूल झरते हैं
दिल डोलता है
मन झूमता है
खून दौड़ता है
आँख भीगती है
ईश्वर बोलता है
वह जब नहीं बात करती है
ख़ुशी होती है कि
वह अपनों के साथ है
और मुझ ग़ैर से रिश्ता बनाए रखने के लिए
चाहते हुए भी
मुझसे बात नहीं करती है
वह रिश्ता
जो एक पल में टूट सकता है
न टूटे
और एक और दिन गुज़र जाए
तो जीवन सार्थक लगता है
राहुल उपाध्याय । 1 मई 2022 । सिएटल
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