आज शायर बड़ा परेशान है
आने वाला कोई तूफ़ान है
क्या हुआ है हुआ कुछ नहीं है
जंग की बातें तमाम हो रही हैं
जंग भला कौन लड़ेगा
जंग की बातें मज़ा दे रही हैं
सब मूरख ख़ुद बुद्धिमान है
सबको क्या-क्या गुमाँ हो रहे हैं
माने न माने ख़ुदा हो रहे हैं
तेरी-मेरी कहाँ बात ठहरी
सब अपनी ही धुन गा रहे हैं
आसमाँ से भी ऊँचा अभिमान है
सबने सबको बड़ा दुख दिया है
सबने सबको ज़ख़्म ही दिया है
इसमें पड़ने से क्या फ़ायदा है
भूल जाए कि क्या-क्या मिला है
जो न भूले वही तो इंसान है
राहुल उपाध्याय । 3 मई 2022 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment