Monday, May 23, 2022

लाखों क़िस्म के दायरे हमने बनाए हैं

लाखों क़िस्म के दायरे हमने बनाए हैं 

अपने उसूल-औ-ख़्वाब के द्वीप बनाए हैं 


नग़मे भी चाँदनी के, कुर्बत भी चाँद की बस चाँद, चाँद, चाँद ही हमको लुभाएँ है 


नज़रें हटें तो देखें भी कोई और पुरनूर

आँखों में जिसके प्यार हो, ग़म से लाख दूर

ऐसे विकल्प हमको कम रास आए हैं 


बरसों बरस बिताए हैं बर्तन लें हाथ में

कोई तो है जो आएगा रहने को साथ में 

ख़ुशबू-घटा-औ-चाँदनी कब हाथ आए हैं 


कुछ दिन तो इश्क़ का सरूर रहता है चूरचूर

फिर मसले ज़िन्दगी के करते हैं रोग दूर

पर्दे आशिक़ी पे दिल ने गिराए हैं


राहुल उपाध्याय । 23 मई 2022 । सिएटल 

https://youtu.be/ZEQdqjScIw0




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1 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

उसूल बनाये जाते हैं तोड़ने के लिए , खुद को दायरों में मत बांधिए ।