इतनी हसीन हो के भी वो मेरे साथ है
कमसिन है, जवान है, वो मेरे साथ है
अपने जहां में नूर का पर्चा ही साफ़ था
जाने कैसी दुआ फली वो मेरे साथ है
हाथों में अपने आज भी ढूँढता वो लकीर हूँ
जिसकी वजह से आई वो मेरे साथ है
ख़्वाब था कि एक बार सूरत निहार लूँ
आ गई बाँहों में मेरी वो मेरे साथ है
ख़त्म हुआ, फ़ना हुआ, मिट गया 'राहुल'
कर भी लो अब यक़ीं वो मेरे साथ है
राहुल उपाध्याय । 4 मई 2022 । सिएटल
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