Sunday, May 8, 2022

अब क्या मिसाल दूँ मैं मेरी माँ के प्यार की

अब क्या मिसाल दूँ मैं मेरी माँ के प्यार की 

इंसान थी मगर थी कोई अवतार ही


सुबहा से ले के शाम तक आँचल था प्यार का

उसके ही प्यार से मिला गुलशन बहार का

वो थी तो ज़िन्दगी मैंने हँस के गुज़ार दी


घर से चला था सोच के आऊँगा लौट के

हुस्न-ओ-जमाल और तिजारत को छोड़ के

पर खे न सका नाव जबकि पतवार थी


उसने न दी सीख कभी कृष्ण-राम की

जीवन जीया हमेशा बस कर के काम ही

वो लौ भी थी कभी तो कभी थी बयार भी 


राहुल उपाध्याय । 8 मई 2022 । सिएटल 


https://youtu.be/WxoItHneeXs




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