उसका फ़ोन आता है तो
बर्तन लोड करता हूँ
कपड़े फ़ोल्ड करता हूँ
घर का हर काम
ख़ुशी-ख़ुशी करता हूँ
अब
सब अस्त-व्यस्त है
पानी पीने को
एक भी ग्लास नहीं है
ओक से पानी पी रहा हूँ
उल्टा-सीधा पहन रहा हूँ
पजामे पर
ऑक्सफ़ोर्ड शर्ट पहन रहा हूँ
सोचता हूँ
मोह-माया छोड़ दूँ
आत्मनिर्भर हो जाऊँ
फिर सोचता हूँ
जी के भी क्या करूँगा
मुकेश कब सुनूँगा
गीत कब रचूँगा
फिलॉसफी कब उड़ेलूँगा
राहुल उपाध्याय । 31 मई 2022 । सिएटल
http://mere--words.blogspot.com/2022/05/blog-post_31.html?m=1
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