Sunday, May 15, 2022

जहाँ भी हो जहां में तुम

जहाँ भी हो जहाँ में तुम वहाँ मैं काम आऊँगा 

अगर भटके कभी पथ से तुम्हें मैं राह दिखाऊँगा 


सुनोगे धुन कोई मीठी मुझे तुम पास पाओगे 

करोगे जब भला कोई मुझे तुम पास पाओगे 

तुम्हारे हाथ में हूँ मैं कहाँ मैं दूर जाऊँगा 


कभी पाओगे गीता में, कभी मीरा के भजनों में

कभी भाई में पाओगे, कभी पाओगे बहनों में 

हज़ारों हाथ हैं मेरे हज़ारों रूप में आऊँगा 


धरम को है जहाँ ख़तरा जहाँ अधर्म छाया है 

वहाँ भी पाओगे मुझको जहाँ होता न साया है 

तुम्हारा हूँ मैं सम्बल तुम्हें कब छोड़ पाऊँगा 


राहुल उपाध्याय । 12 मई 2022 । सिएटल 

https://youtu.be/5Xjbc7xY3ko



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: