Friday, May 6, 2022

मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे ख़त लिखो

मैं चाहता हूँ कि

तुम मुझे ख़त लिखो


लिखो कि

तुम मुझे कितना चाहती हो

कितना प्यार करती हो

मेरे बिना जी नहीं सकती

दिल एक ही है 

जो मुझे दे दिया है 

अब किसी और को दे न सकोगी

एक मैं ही हूँ जिसने तुम्हें 

सुकून दिया

सँवारा 

निखारा

सम्भाला 


यह भी लिखो कि

एक मैं ही हूँ 

जो नूर हूँ 

मैं जैसा हूँ 

तुम्हें पसन्द हूँ 

मुझसा न कोई हुआ है न होगा

मुझे पा कर तुम कितनी ख़ुश हो 

जैसे दुनिया की सारी ख़ुशियाँ तुम्हारे दामन में समा गई हो


यह जानते हुए भी कि

तुम एक दिन पलट जाओगी 

मैं चाहता हूँ कि

तुम यह सब लिखो


जीवन चलायमान है 

सब बदलते हैं 

तुम क्यों अपनी बात पर टिको?


कल कांग्रेस अच्छी थी

आज नहीं


कम से कम एक दस्तावेज तो रहेगा

सीने से लगाने को


घोषणा पत्र ना सही 

प्रेम पत्र ही सही 


कुछ तो रहे

हमारा अपना

हमारा साक्षी


और यह भी अच्छा है कि

प्रेम पत्र लिखना स्कूल में नहीं सिखाते है 

जो भी लिखोगी 

दिल से लिखोगी 

वह तुम्हारा अपना होगा

शब्द, ख़याल, वाक्य रचना, व्याकरण, अलंकार, अतिशयोक्ति 

सब नितांत तुम्हारा होगा


मैं चाहता हूँ कि

तुम मुझे ख़त लिखो

जितना हो सके उसमें प्यार भर दो


राहुल उपाध्याय । 6 मई 2022 । सिएटल 

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1 comments:

Prakash Sah said...

महाशय, यह बहुत ही बेहतरीन है। वाकई मन प्रसन्न हो गया इसे पढ़कर....इसे आरंभ से अंत तक पढते हुए मुख पे मुस्कान थी। ढेर सारी शुभकामनाएँ।