बात न माने
रोते ही जाए
जाके न आए कोई
फिर क्यूँ बुलाए उन्हें
दिल क्यूँ बुलाए
हम जो अकेले होते
कर ना कभी कुछ पाते
सब न अगर जो होते
कर ना कभी कुछ पाते
रहते हाथ हिलाते
तक़दीर में जो हमारे
कल को वही ना होगा
कर लें जो जी में आए
कल को नहीं वो होगा
काहे को बात बढ़ाए
राहुल उपाध्याय । 10 मई 2022 । सिएटल
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