Wednesday, May 11, 2022

डायरी

डायरी

एक कुँवारी लड़की की

ऐसी चीज़ है 

जिसके पन्नों पर वो

अपने सपने बोती है 


वह जानती है कि

कुंडली मिल जाने से

ये कभी सच नहीं होंगे


उनके सच न होने पर

उसे कोई ग़म नहीं है 

बल्कि उनका सच न होना

उसकी शक्ति है 

उसकी ऊर्जा है

उसका सब कुछ है 

उनके सच न होने की वजह से ही 

उसमें एक कसक सी रहती है 

आकर्षित करती है 

आकर्षित होती है 


मेरे लिए 

उसने सिर्फ़ डायरी ही नहीं खोली

ख़ुद को भी पूरी तरह से खोल दिया 

अपना रोम-रोम 

मुझ पर उजागर कर दिया 


प्रेम 

किसी नैतिकता के दायरे में 

बंध कर नहीं रह सकता


कोई भी सात फेरे

अग्नि 

सप्त पदी

वचन

अंगूठी 

किसी को प्यार में डूबने से

नहीं रोक सकते


मैं इसी बात से संतुष्ट हूँ कि

वह मुझ पर विश्वास करती है 


वह डायरी

वह लड़की 

जहाँ है

जैसी है 

ठीक है


मुझमें 

इतनी समझ है कि

फूल 

डाल पर ही

बाग में ही 

अच्छे लगते हैं 

घर में नहीं 


राहुल उपाध्याय । 11 मई 2022 । सिएटल 


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