तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
लोग सोचते थे तुम मेरी पत्नी हो
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
मैं दो घंटी में फ़ोन न उठाऊँ
तो तुम आग बबूला हो जाती थी
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
यदि चैट में कई सारे ♥️ न लगाए तो
उखड़ जाती थी
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
मीठा खा लूँ तो डाँट देती थी
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
मैं किसी से प्यार से बात कर लूँ
तो उसे चुड़ैल कहती थी
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
हम दोनों एक दूसरे को
सुबह-शाम गुड मार्निंग कहते थे
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
तुम्हारे फ़ोन लॉग में मैं ही मैं था
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
मैं एक सेल्फ़ी माँगूँ तुम पचास देती थी
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
जब तक मैंने अपने कांटैक्ट्स में
तुम्हारे नाम के आगे-पीछे
तरह-तरह के ♥️❤️💕 नहीं लगाए
तुम्हें चैन नहीं आया था
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
मैं मज़ाक़ में भी अपने मरने की बात करूँ
तो टप-टप तुम्हारे आँसू निकल पड़ते थे
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
मेरी आवाज़ से मेरे दुख-दर्द जान लेती थी
तुम मेरे इतने क़रीब थी कि
तुम्हारी साँसों को मैंने
अपनी साँसों में महसूस किया है
तुम्हारी ख़ुशबू को ओढ़ा है
तुम्हारी गोद में लेटा हूँ
तुम्हारी ज़ुल्फ़ से खेला हूँ
सब कहते हैं
मैं तन्हा हूँ
नादान हैं
उन्हें क्या मालूम कि
तुम मेरे इतने क़रीब हो कि
रग-रग में समाई हो
हर धड़कन तुम्हीं से है
राहुल उपाध्याय । 6 मई 2022 । सिएटल
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