Tuesday, July 29, 2008

कविता क्या है?

कविता
एक रचना है
जिसमें कवि न जाने कैसे कैसे गुमाँ पालते हैं
शब्दों से उसमें जान डालते हैं
और उसके ख़ुद अपने ही
उस रचना से दूर भागते हैं

कविता
एक रचना है
जिसे लिखने में कवि दिन-रात एक करते हैं
एक एक शब्द करीने से सजा कर रखते हैं
और पढ़ने वाले
मात्र 30 सेकंड के लिए
उस पर सरसरी निगाह डालते हैं

कविता
एक रचना है
जिसे कवि मंच पर पढ़ते हैं
और श्रोता हंसते हैं
क्योंकि वो इसे चुटकला समझते हैं

कविता
एक रचना है
जिसमें कवि वातानुकुलित कमरे में
व्हिस्की पीते हुए
गरीबी और भूखमरी की बातें लिखते है
और राष्ट्रीय पुरुस्कार प्राप्त करते हैं

कविता
एक रचना है
जिसके साथ 40 और रचनाएँ ठूंस कर
कवि किताब छपवाते हैं
लोगों में बांटते हैं
और उनसे उसे पढ़ने की आस रखते हैं

कविता
एक रचना है
जिसे कवि अपने ब्लॉग पर लिखते हैं
दूसरों के ब्लॉग पर टिप्पणी देते हैं
और बदले में उनसे टिप्पणी की राह तकते हैं

सिएटल,
29 जुलाई 2008

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4 comments:

Udan Tashtari said...

कविता एक ऐसा पद्य है
जिसमें साहित्यकार कहलाने के लिए
लोग गद्य ठेल कर सफल होते हैं.

(बस कौमा फुल स्टाप और वाक्य संतुलन बिगाड़ना होता है)

:)

अमिताभ मीत said...
This comment has been removed by the author.
अमिताभ मीत said...

सही कहा समीर भाई. ये "मुक्त छंद" नाम का अस्त्र क्या मिल गया है कि हर आदमी ख़ुद को कवि बताने लगा है. (निराला की बात निराली थी, लेकिन मुक्त छंद के नाम पर कहानी और कहानी को ही कविता कह कर कर ठेलना और लोगों से भी उसे कविता कहलवा उस पे दाद बटोर लेना भी तो कला है सरकार.)

लेकिन इस में एक मजबूरी छिपी है ..... इसे मैं अंग्रेज़ी में समझने की कोशिश करता हूँ ....

1. What do you do when you're actually not capable of writing poetry as it should be, but you really crave to be known, and admired, as a great poet ?

2. What is the (so called) poet's fault, if he/she is getting all the accolades (comments and fanfare in terms of Blogging) just by jotting down a thought, or two, in broken lines, which is called poetry these days ? None, I guess.

3. Is popularity any yardstick of “Quality” in any field of life, more so in Arts , because when it comes to poetry, what all this popularity run is doing, is making poetry devoid of any “Poetic Justice”, or whatever, if we’re talking in terms of merits of Hindi / Urdu (Indian) traditions of poetry.

4. I’m fully aware of a term called “मुक्त छंद” which is a great panacea for all the poets who aspire to be known as, and admired as a poet, but hardly have a notion of the basics of poetry …..

5. A very sad part of all this is that you can actually, and you actually do, get away even with spelling mistakes, grammatical mistakes and with wrong words used at wrong places. (Because you have an infinite number of people who admire you and shower you with the “all important comments" : "वाह ! क्या कविता है !!")

अब का करें ?? कवि कहलाने का मोह त्यागा नहीं जाता ... सो जो कहानी दिमाग में आती है, कविता कह के ठेल देते हैं..... और खूबी देखिये, कि एक उत्कृष्ट कवि कहे जाने का गौरव भी प्राप्त हो रहा है. तो बुराई का है भाई ?? निराला न हुए निराले तो हैं ..... कोई शक ?

परमजीत सिहँ बाली said...

वाह ! भाई कमाल का पद्य-गद्य लिखा है-


कविता
एक रचना है
जिसे कवि अपने ब्लॉग पर लिखते हैं
दूसरों के ब्लॉग पर टिप्पणी देते हैं
और बदले में उनसे टिप्पणी की राह तकते हैं

सही है।इसी लिए टिप्पणी कर रहे हैं।:)