मैं कविता पाठ कैसे करूँ?
प्रेम कविताएँ सारी संदिग्ध हैं
बीवी का मज़ाक़ नहीं उड़ा सकता
नेता के बारे में कुछ कह नहीं सकता
देश की आलोचना असह्य है
धर्म पे कोई सवाल नहीं कर सकता
रीति-रिवाज को छेड़ नहीं सकता
क्या करूँ?
लिखना छोड़ दूँ?
पढ़ना छोड़ दूँ?
सुनना छोड़ दूँ?
बोलना छोड़ दूँ?
जीना छोड़ दूँ?
मत रोको
मेरी कविता को
मेरी आवाज़ को
यही है जो तुम्हें ज़िन्दा रखेगी
यही है जो तुम्हें आवाज़ देगी
यही तुम्हारे सपने तोड़ेगी
यही तुम्हारे सपने बुनेगी
यही तुम्हें प्यार सिखाएगी
प्यार दिलाएगी
प्यार से दूर ले जाएगी
दुनिया दिखाएगी
अहसास जगाएगी
बहार, पतझड़, फूल, पत्ते, नदी, तालाब, पर्वत, झरने
सब दिखाएगी
जीना सिखाएगी
राहुल उपाध्याय । 1 जून 2023 । सिएटल
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