आज उसकी सुनो जो कट ही गया
या मुझको ही कुछ कहने दो
मैं ग़म को ख़ुशी कैसे कह दूँ
जो कहते हैं उनको कहने दो
ये पर्व भला है कैसा भला
जिसमें किसी को प्यार नहीं
क्यूँ काट दिया मासूम कोई
उसको तो ख़ुशी से रहने दो
आवाज़ भी उसकी ख़ास नहीं
देता वो किसी को मार नहीं
कुछ रहम करो इक प्राणी पर
कुछ कोमलता भी जगने दो
क्या काट भला तुम पाओगे
काटो जो तुम्हारी है ये रीत बुरी
खाओ-खिलाओ मीठा कुछ
पर्व को पर्व सा मनने दो
राहुल उपाध्याय । 29 जून 2023 । रतलाम
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