ये जो हुआ
भला है, ना बुरा
फिर भला क्यूँ डरे?
फिर भला हम क्यूँ रूके?
हर तरफ़ है धुआँ
दिल का तार बज उठा
देखो गौर से
आते-जाते राहगीर
रूकते नहीं कोई पीर
देखो मौज है
आना-जाना रीत है
यूँही जाती बीत है
सारी ज़िंदगी
ज़िन्दगी चलती है
लेकर साथ चलती है
अपनी धार को
सूखती जाए
भरती जाए
अपनी धार को
पर्वतों को देख कर
साहिलों को देख कर
रूकती है नहीं
राहुल उपाध्याय । 24 जून 2023 । सिएटल
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