जो गुज़र रही है मुझपे
मैं कहीं गुज़र न जाऊँ
गो उम्र नहीं है कुछ भी
मैं कहीं उतर न जाऊँ
मेरा दिल है आज बाग़ी
इसे आज डर नहीं है
मुझे डर है बस यही कि
मैं कहीं सुधर न जाऊँ
मुझे रोकती है दुनिया
कहीं प्यार कर न बैठूँ
है बहार जिस चमन में
मैं कभी उधर न जाऊँ
मेरे हाथ में वो ताक़त
फ़ौलाद भस्म कर दूँ
मेरी आग ही है जीवन
मैं कहीं ठहर न जाऊँ
राहुल उपाध्याय । 27 जून 2023 । रतलाम
0 comments:
Post a Comment