वक्त ख़राब हो तो घड़ियाँ नहीं बदली जाती हैं
और यहाँ सारी ग़लतियाँ मुझ पर थोप दी जाती हैं
मैं कौन हूँ, मुझे ख़ुद पता नहीं
और उधर फ़िंगरप्रिंट से मेरी पहचान की जाती है
ये दिल, ये दिमाग़, ये रूह, ये मन
कौन इन्हें समझ पाया है?
बस मनगढ़ंत कहानियाँ सुनाईं जाती हैं
सत्ता और सट्टा एक ही चीज़ है
चाहे रोमन में लिखो या जीवन में देखो
आए दिन बस बोलियाँ लगाई जाती हैं
जब लुटा दिया मैंने सर्वस्व उस पर अपना
कहने लगी आओ बताऊँ चूड़ियाँ कैसे पहनी जाती हैं
राहुल उपाध्याय । 11 जून 2023 । सिएटल
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