फ़ोटो में
कितनी बातें
छुप जाती हैं
दब जाती हैं
गंदी गलियाँ
संकरे रास्ते
अंधियारे गलियारे
टूटे हैण्डल
काम न करते फ्लश
समय पे न मिलती चाय
भूली हुई परात
नारियल की थैली
अस्त-व्यस्त चप्पल
और बस दिखते हैं
मुस्काते चौखटे
फ़ोटो
सब एक जैसे होते हैं
रतलाम हो
जबलपुर हो
शिमला हो
दिल्ली हो
धड़ से ऊपर का हिस्सा
सब जगह का एक सा ही होता है
राहुल उपाध्याय । 24 जून 2023 । रतलाम
2 comments:
वाह! बहुत खूब, एकदम सही कहा आपनें।
बहुत बढ़िया राहुल जी 👌👌इस दुनिया में सबसे ज्यादा प्रयास गलती और गन्दगी को छिपाने के लिए हुये हैं।हार्दिक शुभकामनाएं आपको आपके उन्मुक्त लेखन के लिए 🙏
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