Tuesday, November 22, 2016

मैं अधर में हूँ

मैं धार्मिक हूँ

अधर्मी हूँ

मैं अधर में हूँ


मैं आस्तिक हूँ

नास्तिक हूँ

मैं अधर में हूँ


मैं भाजपाई हूँ

कांग्रेसी हूँ

मैं अधर में हूँ


मैं डेमोक्रेट हूँ 

रिपब्लिकन हूँ

मैं अधर में हूँ


मैं ध्यान में हूँ

मैं ज्ञान में हूँ

मैं अधर में हूँ


इस तट पर हूँ

उस तट पर हूँ

बीचों-बीच लहर पर हूँ


सही है या ग़लत 

नहीं जानता 

पर इतना अवश्य है 

कि

मुझे दिखेगा कल

एक मंज़र नया

'गर रख सकूँ खुली

आँखें अपनी


22 नवम्बर 2016

सैलाना | 001-425-445-0827

tinyurl.com/rahulpoems 





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