नोट नोट ना रहा
हज़ार हज़ार ना रहा
करेंसी हमें तेरा
एतबार ना रहा
अमानतें मैं प्यार की
लेता था जिसको सौंप कर
वो मेरे दोस्त तुम ही थे
तुम्हीं तो थे
जो ज़िंदगी की राह मे
बने थे मेरे हमसफ़र
वो मेरे दोस्त तुम ही थे
तुम्हीं तो थे
सारे भेद खुल गए
राज़दार ना रहा
करेंसी हमें तेरा
ऐतबार ना रहा
सफ़र के वक़्त पर्स में
भरता था जिसे ठूँस-ठूँस
वो तुम न थी तो कौन था
तुम्हीं तो थी
जिसके भरोसे दर-ब-दर
घूमता था मैं दूर-दूर
वो तुम न थी तो कौन था
तुम्हीं तो थी
नशे की रात ढल गई
अब खुमार ना रहा
करेंसी हमें तेरा
ऐतबार ना रहा
(शैलेन्द्र से क्षमायाचना सहित)
18 नवम्बर 2016
सिएटल | 425-445-0827
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