Friday, November 18, 2016

नोट नोट ना रहा


नोट नोट ना रहा

हज़ार हज़ार ना रहा

करेंसी हमें तेरा 

एतबार ना रहा


अमानतें मैं प्यार की
लेता था जिसको सौंप कर
वो मेरे दोस्त तुम ही थे
तुम्हीं तो थे
जो ज़िंदगी की राह मे
बने थे मेरे हमसफ़र
वो मेरे दोस्त तुम ही थे
तुम्हीं तो थे
सारे भेद खुल गए
राज़दार ना रहा
करेंसी हमें तेरा
ऐतबार ना रहा


सफ़र के वक़्त पर्स में
भरता था जिसे ठूँस-ठूँस
वो तुम थी तो कौन था
तुम्हीं तो थी

जिसके भरोसे दर--दर 

घूमता था मैं दूर-दूर

वो तुम थी तो कौन था
तुम्हीं तो थी
नशे की रात ढल गई
अब खुमार ना रहा

करेंसी हमें तेरा
ऐतबार ना रहा


(शैलेन्द्र से क्षमायाचना सहित)

18 नवम्बर 2016

सिएटल | 425-445-0827



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: