कभी पास थे
आज दूर हो गए
घड़ी की सुई घुमाई
और दूर हो गए
न चले, न फिरे
न गए कहीं भी
बैठे-बिठाए
हम दूर हो गए
आते-जाते
सब मिलते हैं
घर आते ही
सब दूर हो गए
कल ही कहा था
कि परसो थाली
न जाने कैसे
कब दूर हो गए
उतारा चश्मा
बदला नज़रिया
सारे के सारे
ग़म दूर हो गए
6 नवम्बर 2016
सिएटल | 425-445-0827
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