Friday, November 25, 2016

शुभकामनाएँ

देने को तो

दे दूँ

आज ही

जीवन भर के लिए

शुभकामनाएँ 


लेकिन 

फिर मिट जाएँगी 

मिलने-जुलने की

दुआ-सलाम की

सारी

सम्भावनाएँ 


इसीलिए

सुबह होती है

शाम होती हैं

एक बार नहीं 

कई बार होती हैं


किसी से भी लो

किसी को भी दो

किश्तों में लो

किश्तों में दो

एक मुश्त नहीं

छप्पर-फाड़ नहीं

बारिश हो 

बाढ़ नहीं


चाहत तभी तक चाहत है 

जब तक चाहत बाक़ी है

ज़िन्दगी तभी तक ज़िन्दगी है

जब तक ज़िन्दगी बाक़ी है


25 नवम्बर 2016

सैलाना | 001-425-445-0827

tinyurl.com/rahulpoems 



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