मौज है आज के लोगों की
कमी नहीं कुछ मौक़ों की
मरता कोई, हरिद्वार हैं जाते
भूख भी लगती जोरों की
खाते-पीते हलवा-पूड़ी
नामी-गिरामी हलवाइयों की
फ़ोटो-वोटों ख़ूब हैं खींचती
दाँत दिखाते परिवारों की
कफ़न के पात्र कहाँ ग़लत थे
मिट्टी-पलीद हुई बिचारों की
राहुल उपाध्याय । 17 जनवरी 2024 । सिएटल
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