Saturday, January 13, 2024

हर कोई प्रयास है करता

हर कोई प्रयास है करता

बन जाऊँ सिटिज़न कहीं का

साथ में यह भी कहता

दिल मेरा देश में ही लगता


रोज़ की ये खींचा-तानी

है देसियों की कहानी 


सूटकेस भर-भर ये आए

सूटकेस भर-भर ये जाए

हैं यहाँ तो याद वहाँ की

हैं वहाँ तो याद यहाँ की


त्रिशंकु जैसे डोल रहे हैं 

झूठ-सच सब बोल रहे हैं 


चार जुलाई को पिकनिक मनाते

छब्बीस जनवरी को झण्डा फहराते 

सारे जहां से अच्छा हमारा

देश हिन्दोस्तां हमारा


राहुल उपाध्याय । 13 जनवरी 2024 । एवशाम (इंग्लैंड)


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1 comments:

जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र• said...

*गुरु चरणों की धूल*
*वतर्ज-ग़ज़ल-झुकी झुकी सी नज़र बेकरार आज है के नहीं*

दुखी दुखी सी सगर इकरार है के नहीं,
हवा हवा सी नही तिल में सार है के नहीं।
फंसी मंझधार में नवा लहरों को कौन रोक सका,
किसी तरह से ये नोका पार लगी है के नहीं।
हवा हवा सी नही तिल में सार है के नहीं
दुखी दुखी सी सगर --
वो झलकें उसमें शोहरत महान होती है,
दुखी हर दिल का मुझे नागवार है के नहीं।
हवा हवा सी नही तिल में सार है के नहीं
दुखी दुखी सी सगर-----
रंगी हमराही ज्ञान गुण सागर जहां को
कनक झनक स्वर सम्राट हुआ है के नहीं।।
हवा हवा सी नही तिल में सार है के नहीं।
दुखी दुखी सी सगर इकरार है के नहीं।।

*©® जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी उ•प्र•*