नफ़रत की दुनिया में देख ले
क्या-क्या होता है
बढ़ रहा अहंकार
अलगाव के बीज बो-बो के
कर रही नित ड्रामे
हज़ारों हज़ार
बस ख़त्म है भक्ति
सेवा भाव भी सारे
बस बिक रहे तेरे
नाम के जयकारे
देश का विकास नहीं
कर रही देश का बँटाढार
आज की सरकार
किस काम के दिये
पेय जल नहीं जो आज
अस्पताल नहीं कोई
जहां हो रहा इलाज
रोज़गार-शिक्षा पे नहीं
है कोई ठोस सोच-विचार
मिटता नहीं अंधकार
राहुल उपाध्याय । 20 जनवरी 2024 । सिएटल
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